"मैं घर पहुंचकर कॉल करता
हूं, फ़ोन की बैटरी कम है, फ़ोन कट जाएगा, ओके बाय।" इतना कहकर फ़ोन काटा
ही था कि स्क्रीन पर वाइब्रेशन के साथ एक चेतावनी आ गई, 'Low Battery।'
बैटरी के बिना फ़ोन, खाली डिब्बे के सिवा कुछ
नहीं। जब कभी यह साथ छोड़ जाती है, तो गुस्से में हम कहते हैं, 'इस फ़ोन का
बैटरी बैकअप अच्छा नहीं है।' या 'काहे का स्मार्टफोन, जब बैटरी में दम
नहीं है।'
लेकिन कुछ ऐसे तरीक़े हैं, जिन्हें आज़माकर आप अपनी बैटरी की सांसें बढ़ा सकते हैं। आइए जानें ऐसे नुस्ख़ों के बारे में, जो न केवल फ़ोन की बैटरी लाइफ़ बढ़ा सकते हैं, बल्कि इनके लिए आपको कुछ ख़ास मेहनत भी नहीं करनी होगी।
लेकिन कुछ ऐसे तरीक़े हैं, जिन्हें आज़माकर आप अपनी बैटरी की सांसें बढ़ा सकते हैं। आइए जानें ऐसे नुस्ख़ों के बारे में, जो न केवल फ़ोन की बैटरी लाइफ़ बढ़ा सकते हैं, बल्कि इनके लिए आपको कुछ ख़ास मेहनत भी नहीं करनी होगी।
हमें
जब कभी इंटरनेट इस्तेमाल करना होता है, तो डाटा नेट के अलावा वाई-फाई का
ऑप्शन भी रहता है। लेकिन ज़ाहिर है, यह हमेशा उपलब्ध नहीं होता। पर
मोबाइल पर इस ऑप्शन के ऑन होने की वजह से वाई-फ़ाई कनेक्ट होने से पहले
आपका सेलफोन हमेशा नेटवर्क सर्च करता है। वाई-फ़ाई सिग्नल सर्चिंग में
काफ़ी बैटरी खर्च होती है।
इसलिए वाई-फ़ाई के ऑप्शन को बंद ही रखें तो बेहतर होगा। हां, डाटा डाउनलोड करने के लिए वाई-फ़ाई का इस्तेमाल जरूरी होता है, लेकिन इंटरनेट सर्फिंग के लिए मोबाइल नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसलिए वाई-फ़ाई के ऑप्शन को बंद ही रखें तो बेहतर होगा। हां, डाटा डाउनलोड करने के लिए वाई-फ़ाई का इस्तेमाल जरूरी होता है, लेकिन इंटरनेट सर्फिंग के लिए मोबाइल नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं।
यूं
तो यह बात हम में से ज्यादातर लोग जानते होंगे, लेकिन इस पर अमल बहुत कम
लोग करते हैं। सेलफ़ोन स्क्रीन की ब्राइटनेस जितनी ज्यादा होती है, मोबाइल
की बैटरी उतनी ही ज्यादा खर्च होती है।
स्क्रीन की ब्राइटनेस को मैन्युअली कम करके रख सकते हैं। इसके लिए सेटिंग ऑप्शन में जाकर डिस्प्ले पर क्लिक करें और ब्राइटनेस के ऑप्शन पर जाएं। ब्राइटनेस उस लेवल तक कम कर लें, जब तक आपको सहूलियत महसूस होती है।
इसके अलावा आप स्क्रीन की ब्राइटनेस को ऑटोमैटिकली भी सेट कर सकते हैं। इस विकल्प का इस्तेमाल करते ही आपके फोन की ब्राइटनेस तय मानकों के मुताबिक सेट हो जाएगी।
स्क्रीन की ब्राइटनेस को मैन्युअली कम करके रख सकते हैं। इसके लिए सेटिंग ऑप्शन में जाकर डिस्प्ले पर क्लिक करें और ब्राइटनेस के ऑप्शन पर जाएं। ब्राइटनेस उस लेवल तक कम कर लें, जब तक आपको सहूलियत महसूस होती है।
इसके अलावा आप स्क्रीन की ब्राइटनेस को ऑटोमैटिकली भी सेट कर सकते हैं। इस विकल्प का इस्तेमाल करते ही आपके फोन की ब्राइटनेस तय मानकों के मुताबिक सेट हो जाएगी।
ऐसी
ऐप्लिकेशन, जो 'पुश' तकनीक पर काम करती हैं। इनमें ईमेल सबसे आम टूल है।
इसमें भी बैटरी का काफी ज्यादा इस्तेमाल होता है। इस ऑप्शन को चुनने की
वजह से फ़ोन हर 15 मिनट पर सिंक होता रहता है और बैटरी खर्च होती रहती है।
इसलिए बेहतर होगा अगर आप सिंकिंग को मैन्युअली सेट कर लें।
जब कभी फ़ोन में बैटरी के बार खत्म होने की तरफ बढ़ रहे हों, तो यह विकल्प काफी काम का साबित हो सकता है। मैन्युअल सेटिंग करने के बाद आपको कुछ ही वक्त में पता चल जाएगा कि आपके मोबाइल फोन की बैटरी में कुछ जान लौट आई है।
जब कभी फ़ोन में बैटरी के बार खत्म होने की तरफ बढ़ रहे हों, तो यह विकल्प काफी काम का साबित हो सकता है। मैन्युअल सेटिंग करने के बाद आपको कुछ ही वक्त में पता चल जाएगा कि आपके मोबाइल फोन की बैटरी में कुछ जान लौट आई है।
मोबाइल
फ़ोन अब नेविगेटर भी बन गए हैं। लोकेशन ऐप्लिकेशन लगातार बताती रहती है कि
फलां वक्त आप कहां मौजूद हैं? जाहिर है, यह बिना बैटरी के इस्तेमाल के
मुमकिन नहीं है। जब बैटरी कम हो, तो ऐप्लिकेशन सेटिंग में जाकर इसे बंद कर
लें।
वाई-फ़ाई की तरह ही
ब्लूटूथ भी सिग्नल सर्च करता है। सिग्नल सर्च होने के बाद मोबाइल किसी
दूसरी डिवाइस से कनेक्ट होता है और कुछ देर बार डिस्कनेक्ट भी हो जाता है।
लेकिन बैटरी का इस्तेमाल होता रहता है। इसलिए ब्लूटूथ का इस्तेमाल न होने
पर इसे बंद ही रखें। इससे भी बैटरी पर फ़र्क पड़ेगा।
स्क्रीन
टाइमआउट का मतलब है कि फोन की डिस्प्ले लाइट कितनी देर तक ऑन रहती है।
स्क्रीन पर एक बार रिस्पॉन्स करने से यह एक तय समय तक ऑन रहती है, जिससे
बैटरी ज्यादा खर्च होती है।
इसलिए आप डिस्प्ले सेटिंग में जाकर स्क्रीन टाइमआउट को मैन्युअली सेट कर सकते हैं। इसे कम करने पर बैटरी भी कम जाया होगी।
इसलिए आप डिस्प्ले सेटिंग में जाकर स्क्रीन टाइमआउट को मैन्युअली सेट कर सकते हैं। इसे कम करने पर बैटरी भी कम जाया होगी।
काफ़ी
सारी ऐप्लिकेशन ऐसी होती हैं, जो थोड़ी-थोड़ी देर पर नोटिफिकेशन भेजती
रहती हैं। इससे डिस्प्ले लाइट ऑन हो जाती है। डिस्प्ले की लाइट बैटरी के
खर्च को बढ़ाती है। इसलिए ऐसी गैर-जरूरी नोटिफ़िकेशन ऐप्लिकेशन को बंद
रखें।
रिंगटोन
के मुकाबले वाइब्रेशन में बैटरी ज्यादा खर्च होती है। इसलिए जहां पर
वाइब्रेशन के बिना काम चल सकता है वहां पर रिंगटोन का ही इस्तेमाल करें।
कई
सारी ऐसी ऐप्लिकेशन मौजूद हैं जो स्मार्टफोन की बैटरी को बेहतर बनाने में
काफी मददगार साबित होती हैं। आप भी इन्हें आजमा सकते हैं।
मोबाइल
तकनीक के जानकार और कार्बन मोबाइल कंपनी के डायरेक्टर अर्शदीप सिंह का
कहना है, "मोबाइल की बैटरी ख़त्म होने की स्थिति में मोबाइल यूज़र्स 2जी
नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ऐसा करने से बैटरी बैकअप को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही, मोबाइल की ब्राइटनेस को कम कर देना चाहिए और डेटा कनेक्शन को भी बंद रखना चाहिए। ऐसा करने से मोबाइल यूज़र्स को 3-5 गुना अधिक बैटरी बैकअप मिल सकता है।"
ऐसा करने से बैटरी बैकअप को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही, मोबाइल की ब्राइटनेस को कम कर देना चाहिए और डेटा कनेक्शन को भी बंद रखना चाहिए। ऐसा करने से मोबाइल यूज़र्स को 3-5 गुना अधिक बैटरी बैकअप मिल सकता है।"
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