गूगल
के आई/ओ वार्षिक डेवलपर कॉन्फ्रेंस में दुनिया की सबसे बड़ी सर्च कंपनी ने
अगले ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉयड ओ के बीटा वर्ज़न को उपलब्ध कराए जाने की
जानकारी दी। इसके अलावा कंपनी ने एंड्रॉयड के नए वर्ज़न की भी जानकारी दी
जिसे एंड्रॉयड गो के नाम से जाना जाएगा। इसे सस्ते या काम चलाऊ
स्पेसिफिकेशन वाले स्मार्टफोन के लिए बनाया गया है।
दुनिया के हर शख्स तक एंड्रॉयड को ले जाने के मकसद से कंपनी ने अपने एंड्रॉयड का थोड़ा कमज़ोर वर्ज़न एंड्रॉयड गो पेश किया। इसे उन एंड्रॉयड डिवाइस के लिए बनाया गया है जो 1 जीबी या उससे कम रैम के साथ आते हैं।
एंड्रॉयड गो में तीन बातों का ख्याल रखा जाएगा। लेटेस्ट एंड्रॉयड को इस तरह से ऑप्टिमाइज़ किया जाएगा जो एंट्री स्तर के डिवाइस पर बिना किसी परेशानी के चलेगा। इसके अलावा नए अवतार वाले गूगल ऐप्स जो रैम, स्टोरेज और मोबाइल डेटा की कम खपत करें। और आखिर में प्ले स्टोर का ऐसा वर्ज़न जिसमें सारे ऐप्स की लिस्टिंग तो होगी ही, लेकिन एंड्रॉयड गो यूज़र के लिए बनाए गए खास ऐप को अलग से दिखाया जाएगा। ये तीन फ़ीचर 2018 से एंड्रॉयड ओ पर चलने वाले 1 जीबी या उससे कम मैमोरी वाले डिवाइस पर जाएंगे।
गूगल यूट्यूब गो, क्रोम और जीबोर्ड को भी इस तरह से डिज़ाइन किया जा रहा है जो रैम के साथ मोबाइल डेटा की भी कम खपत करें। कंपनी सिस्टम यूज़र इंटरफेस में कुछ ऐसे बदलाव कर रही है जिसके बूते 512 एमबी या 1 जीबी रैम वाले एंड्रॉयड ओ डिवाइस में एंड्रॉयड गो के फ़ीचर आसानी से काम करें।
एंड्रॉयड गो पर चलने वाले डिवाइस में डेटा को नियंत्रित करने के लिए क्विक सेटिंग्स का फ़ीचर होगा। इसके अलावा आप हमेशा नज़र रख पाएंगे कि डेटा की खपत कितनी हो रही है। दूसरी तरफ, मौज़ूदा डेटा सेविंग फ़ीचर क्रोम जैसे ऐप में अब पहले से एक्टिव रहेंगे।
गूगल ने हाल ही में यूट्यूब गो को भारत में पेश किया था। अब हमें जानकारी मिली है कि इसे एंड्रॉयड गो के लिए भी डिज़ाइन किया गया था। यूट्यूब गो ऐप में किसी भी वीडियो को ऑफलाइन मोड में प्रिव्यू किया जा सकता है। और डेटा नहीं रहने की स्थिति में भी वे अपने करीबी दोस्तों से वीडियो को साझा करना संभव है। यूज़र वीडियो को डाउनलोड करके ऑफलाइन भी देख सकते हैं।
दुनिया के हर शख्स तक एंड्रॉयड को ले जाने के मकसद से कंपनी ने अपने एंड्रॉयड का थोड़ा कमज़ोर वर्ज़न एंड्रॉयड गो पेश किया। इसे उन एंड्रॉयड डिवाइस के लिए बनाया गया है जो 1 जीबी या उससे कम रैम के साथ आते हैं।
एंड्रॉयड गो में तीन बातों का ख्याल रखा जाएगा। लेटेस्ट एंड्रॉयड को इस तरह से ऑप्टिमाइज़ किया जाएगा जो एंट्री स्तर के डिवाइस पर बिना किसी परेशानी के चलेगा। इसके अलावा नए अवतार वाले गूगल ऐप्स जो रैम, स्टोरेज और मोबाइल डेटा की कम खपत करें। और आखिर में प्ले स्टोर का ऐसा वर्ज़न जिसमें सारे ऐप्स की लिस्टिंग तो होगी ही, लेकिन एंड्रॉयड गो यूज़र के लिए बनाए गए खास ऐप को अलग से दिखाया जाएगा। ये तीन फ़ीचर 2018 से एंड्रॉयड ओ पर चलने वाले 1 जीबी या उससे कम मैमोरी वाले डिवाइस पर जाएंगे।
गूगल यूट्यूब गो, क्रोम और जीबोर्ड को भी इस तरह से डिज़ाइन किया जा रहा है जो रैम के साथ मोबाइल डेटा की भी कम खपत करें। कंपनी सिस्टम यूज़र इंटरफेस में कुछ ऐसे बदलाव कर रही है जिसके बूते 512 एमबी या 1 जीबी रैम वाले एंड्रॉयड ओ डिवाइस में एंड्रॉयड गो के फ़ीचर आसानी से काम करें।
एंड्रॉयड गो पर चलने वाले डिवाइस में डेटा को नियंत्रित करने के लिए क्विक सेटिंग्स का फ़ीचर होगा। इसके अलावा आप हमेशा नज़र रख पाएंगे कि डेटा की खपत कितनी हो रही है। दूसरी तरफ, मौज़ूदा डेटा सेविंग फ़ीचर क्रोम जैसे ऐप में अब पहले से एक्टिव रहेंगे।
गूगल ने हाल ही में यूट्यूब गो को भारत में पेश किया था। अब हमें जानकारी मिली है कि इसे एंड्रॉयड गो के लिए भी डिज़ाइन किया गया था। यूट्यूब गो ऐप में किसी भी वीडियो को ऑफलाइन मोड में प्रिव्यू किया जा सकता है। और डेटा नहीं रहने की स्थिति में भी वे अपने करीबी दोस्तों से वीडियो को साझा करना संभव है। यूज़र वीडियो को डाउनलोड करके ऑफलाइन भी देख सकते हैं।
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