मैसेजिंग
ऐप व्हाट्सऐप न्यूज मीडिया के क्षेत्र में एक प्रमुख बल के रूप में उभरा
है, जाहिर तौर पर इसका नुकसान इसके मालिक फेसबुक को हो रहा है। एक नई
रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। डिजिटल न्यूज रिपोर्ट 2017 के लेखकों का
कहना है, "हम कुछ समय से व्हाट्सऐप की वृद्धि दर पर नजर रख रहे थे, लेकिन
समाचार के लिए इसके प्रयोग में पिछले एक साल में देश आधारित विविधता के साथ
15 फीसदी की वृद्धि हुई है।"
इसमें कहा गया कि सर्वेक्षण में भाग लेनेवाले मलेशिया के 51 फीसदी लोग समाचार साझा करने या उसपर चर्चा करने के लिए फेसबुक का प्रयोग करते हैं, जबकि अमेरिका में यह अनुपात केवल 3 फीसदी है।
मलेशिया के अलावा ब्राजील (46 फीसदी) और स्पेन (32 फीसदी) सहित कई बाजारों में व्हाट्सऐप का इस्तेमाल समाचार जानने और साझा करने के लिए किया जा रहा है और लोग इसके लिए फेसबुक का इस्तेमाल करना छोड़ रहे हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि समाचार के लिए फेसबुक का प्रयोग उनके द्वारा सर्वेक्षण किए गए देशों में गिरा है।
रिपोर्ट के मुताबिक या तो यह बाजार संतृप्ति का संकेत है या फिर साल 2016 में हुए फेसबुक के एल्गोरिदम में बदलाव का नतीजा है जो पेशेवर समाचार सामग्री के ऊपर दोस्तों और परिवारजनों के संचार को अधिक तरजीह देता है।
यह शोध रॉयटर्स इंस्टीट्यूट फॉर स्टडी ऑफ जर्नलिज्म के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था। उन्होंने यूरोप, अमेरिका और एशिया के 34 देशों के आंकड़ों का अध्ययन किया और करीब 70,000 लोग इसमें प्रतिभागी बने।
इसमें कहा गया कि सर्वेक्षण में भाग लेनेवाले मलेशिया के 51 फीसदी लोग समाचार साझा करने या उसपर चर्चा करने के लिए फेसबुक का प्रयोग करते हैं, जबकि अमेरिका में यह अनुपात केवल 3 फीसदी है।
मलेशिया के अलावा ब्राजील (46 फीसदी) और स्पेन (32 फीसदी) सहित कई बाजारों में व्हाट्सऐप का इस्तेमाल समाचार जानने और साझा करने के लिए किया जा रहा है और लोग इसके लिए फेसबुक का इस्तेमाल करना छोड़ रहे हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि समाचार के लिए फेसबुक का प्रयोग उनके द्वारा सर्वेक्षण किए गए देशों में गिरा है।
रिपोर्ट के मुताबिक या तो यह बाजार संतृप्ति का संकेत है या फिर साल 2016 में हुए फेसबुक के एल्गोरिदम में बदलाव का नतीजा है जो पेशेवर समाचार सामग्री के ऊपर दोस्तों और परिवारजनों के संचार को अधिक तरजीह देता है।
यह शोध रॉयटर्स इंस्टीट्यूट फॉर स्टडी ऑफ जर्नलिज्म के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था। उन्होंने यूरोप, अमेरिका और एशिया के 34 देशों के आंकड़ों का अध्ययन किया और करीब 70,000 लोग इसमें प्रतिभागी बने।
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